आईना
कानों में आ रही है सदा नाद ब्रह्म की, या कि तेरी पाजेब ने झंकार किया है...
Sunday, November 6, 2011
देख ली मैँने अपनी चमक ......
अनलहक़ ना रहा कोई शक
गुलिस्ताँ आज हैरान है
देखकर गुल ए तर की दहक
डूब जायेगा सूरज अभी
तेरी पलकेँ गयीँ जो झपक
इश्क़ की आबरू तू बचा
तेरी आँखेँ न जायेँ छलक
मेरी ग़ज़लोँ के हर शेर मेँ
तेरी पाज़ेब की है खनक
क्योँ तेरे क़ामते-सर्द से
आज कौँदे रहेँ हैँ लपक
उनकी आँखोँ के गुल देखकर
रूह जाती है मेरी महक
एक दिन तू सही राह पे
आ ही जायेगा,पहले बहक
रूह बेदार हो तो मिले
ज़र्रे ज़र्रे से कोई सब
Saturday, October 15, 2011
कोई मुझको मेरा पता दे दे..
क्या है दुनिया ये और क्या हूँ मैं?
साँस लेने की अब कहाँ फुर्सत
हर घडी तुझको सोचता हूँ मैं
कोई मुझको मेरा पता दे दे
एक मुद्दत से ढूँढता हूँ मैं
याद आये तेरी तो याद आये
अब तुझे भूलने लगा हूँ मैं
तू है कि फिर भी हंसती रहती है
तुझको क्या-क्या न बोलता हूँ मैं?
ईश्क़ जीवन में गर ना रहा
समझो जीना भी मरना रहा
हो गए जब किसी और के
तुम को खोने का डर ना रहा
हर कहीं फिर ठिकाना हुआ
जब कहीं अपना घर ना रहा
मौत उसको डराएगी क्या?
जिसका मकसद ही मरना रहा
Monday, March 14, 2011
आगे रात भी होगी
घटाओं की परत छाई है तो बरसात भी होगी
कोई यूँ ही नहीं चिल्लाता कोई बात भी होगी
सितारे आज गर्दिश में हैं फिर भी मुझे यकीं है
ye daulat ye shohrat kal mere sath भी होगी
din में बिखरे उजालों को इफरात न लुटाओ,
कुछ उजाला jeb में रख लो आगे रात भी होगी
वो घर से निकलता नहीं फिर भी ठोकर खाताहै,
उसके kayalon में pattharon ki kaynaat bhi hogi!
बिखर के भी रो नहीं पाये
तुमको कल छत पे जो नहीं पाये!
चाँद तारे भी सो नहीं पाये!
हमको मिलता कहाँ तेरा कांधा,
हम बिखर के भी रो नहीं पाये!
नींद आती ही nhin जैसे तुम,
हम जमाने से सो नहीं पाये!
हम पे har पल वो आँख रहती hai,
ham kahin chhup ke ro nhin पाये!
ek tumhen aur ik tumhara dil,
तुमसे हम ये ही दो नहीं पाये!
maut आई तब आपने जाना,
बारे-तन्हाई dho नहीं पाये !
हम उसे पा भी न सके ए दोस्त,
और दिल से भी खो नहीं पाये!
Monday, January 3, 2011
वो जो लड़की बड़ी दिवानी है
ये मेरी आँख में जो पानी है
मेरे महबूब कि निशानी है
उस दिले-बेवफा के जैसा है,
ये जो पत्थर लगे कि पानी है!
देख ले मौत भी तो मर जाये,
कितनी कातिल तेरी जवानी है!
डूब के हमने भी पढ़ा इक दिन,
उन निगाहों में इक कहानी है!
दिल,जहां दरसे-इश्क मिलता है,
सर्व विद्या कि राजधानी है!
Thursday, December 9, 2010
नज़्म
मन ये नाचे हो जैसे कोई पाँव रे
मेरे मासूम दिल को ठिकाना दिया
नाम तुने ही इसका दीवाना दिया
एक बेनाम को मिल गया नाँव रे
सांवरे .....................................
जिसकी माटी में खेले हुए हम जवां
प्यार के हमने बरसों बिताये जहां
याद वो फिर से आया मेरा गाँव रे
सांवरे .....................................
राग ने आज छेड़ा है वो रागिनी
रक्स में चाँद है और है चांदनी
दिल ने गया मेरे सांवरे सांवरे
मन ये नाचे हो जैसे कोई पाँव रे
सावरे.......................................
ग़ज़ल
यूँ ही मिलेगी ख़ुशी आहिस्ता आहिस्ता
हर एक पल को इतिहास बनाते हुए,
बढरही है जिंदगी आहिस्ता आहिस्ता
शायद कि चढ़ रही है वो अपने छत पे,
बिखर रही है चांदनी आहिस्ता आहिस्ता
अब घर की दहलीज़ कभी रोकेगी नहीं,
फैलने लगी रौशनी आहिस्ता आहिस्ता
मुकम्मल अब हो जायेगा ये अधूरापन,
बोलने लगी है ख़ामोशी आहिस्ता आहिस्ता
Thursday, November 25, 2010
क़ता
जब खुद से बिछड़ गया तो देखा रात हो गयी
आगे वाले को धक्का दे के आगे निकल गया,
उसकी बद्दुआ मगर मेरे साथ हो गयी!
Saturday, November 20, 2010
रुबाई
खामोश रहो तुम सुनो ये आवाज़
हैं फूट रहे मौन से ये अल्फाज़
नादान! कभी तो समझ मेरी बात,
जो नामे-खुदा है नफ़स में है राज़
संग भी देवता हो गया
संग भी देवता हो गया
बस ज़रा देर चलने की थी,
दश्त में रास्ता हो गया
बिन दुआ माँ के निकला था वो,
राह में हादसा हो गया
मिट गयी जब खुदी भी मेरी,
दोस्तों! मैं खुदा हो गया
एक पल को नज़र क्या मिली,
दिल मेरा आपका हो गया
बज्मे -उल्फत में फिर आपसे,
आमना-सामना हो गया